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कचरे से कमाई

कुछ समय पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में वेस्ट से वेल्थ शब्द का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही उन्होनें सफाई को लेकर    विषेष अभियान भी चलाया। प्रष्न ये है कि प्रधानमंत्री को ऐसा करने की जरूरत क्यों पडी। क्या वास्तव में कचरे से कमाई की जा सकती है। जवाब है हां। कन्ज्यूमर क्रान्ति के परिणामस्वरुप जैसे - जैसे बाजार में नित नये उत्पाद आ रहे है वैसे ही कूडे में भी बढोतरी होती जा रही है। कूडे की बढती मात्रा जहां भविष्य की प्रचण्ड समस्या की और इषारा कर रही है वहीं नई औद्योगिक संभावनाओं को भी आमंत्रित कर रही है। विश्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक अपर्याप्त साफ - सफाई और स्वच्छता की हर साल भारत को 54 अरब डॉलर कीमत चुकानी पडती है। यह रकम 2006 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) की 6.4 फीसद के बराबर है। यही नहीं , यह चपत देश के कई राज्यों के कुल आय से भी अधिक है। स्वच्छता को सही तरीके अपनाकर भारत 32.6 अरब डॉलर हर साल बचा